BTC Course Details in Hindi : शिक्षा के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए सबसे ज्यादा पॉपुलर कोर्स में से एक बीटीसी (डीएलएड) कोर्स है। भारत के किसी भी राज्य में शिक्षक बनने के लिए कुछ जरूरी कोर्स और एग्जाम क्वालीफाई करना पड़ता है। शिक्षक बनने के लिए बीएड और बीटीसी कोर्स को लेकर लोगो में बहुत ज्यादा प्रश्न होते हैं।
सबसे ज्यादा सवाल बीटीसी के लिए न्यूनतम योग्यता और बीटीसी कोर्स के बाद करियर से संबंधित होते हैं। यहां पर बीटीसी कोर्स से संबंधित प्रत्येक जानकारी दी गई है। जिसमे बीटीसी का फुलफॉर्म से लेकर बीटीसी की फीस, एडमिशन पात्रता, कोर्स अवधि और बीटीसी के विषय आदि शामिल हैं।
यदि आप इस असमंजस में हैं कि बीएड और बीटीसी कोर्स में से किस कोर्स को करना चाहिए। तो यह आर्टिकल जरूर पढ़ें B.Ed और BTC में क्या अंतर है? जाने कौन है बेहतर बीएड या बीटीसी जिसमे विस्तार से बताया गया है कि बीएड और बीटीसी कोर्स किसे करना चाहिए और किसे नहीं।
बीटीसी का फुलफॉर्म | बेसिक ट्रेनिंग सर्टिफिकेट |
कोर्स स्तर | सर्टिफिकेट |
कोर्स अवधि | 2 वर्ष |
कोर्स फीस | ₹20,000 से 1 लाख रुपए |
बीटीसी कोर्स क्या होता है
शिक्षा के क्षेत्र में BTC का फुल फॉर्म Basic Training Certificate होता है। बीटीसी जिसे डीएलएड (D.El.ed) के नाम से भी जानते हैं। यह एक टीचर ट्रेनिंग सर्टिफिकेट कोर्स है जिसे पूरा करने के बाद आप प्राइमरी और जूनियर स्कूल में शिक्षक बन सकते हैं।
प्राइमरी और जूनियर स्कूल में शिक्षक की ट्रेनिंग के लिए ही बीटीसी (D.el.ed) कोर्स को बनाया गया है। हालांकि इस समय बीएड किए हुए कंडीडेट भी प्राइमरी और जूनियर स्कूल में शिक्षक के लिए पात्र होते हैं। परंतु यह पात्रता कब तक रहेगी यह निर्धारित नहीं है।
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बीटीसी के लिए न्यूनतम योग्यता
बीटीसी / डीएलएड के लिए अलग अलग राज्य में एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया में अंतर हो सकता है। ज्यादातर राज्यों द्वारा मान्य सामान्य एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया के बारे में नीचे बताया गया है।
- बीटीसी / डीएलएड करने के लिए कंडीडेट मान्यता प्राप्त किसी भी बोर्ड से 10+2 पास होना चाहिए।
- बीटीसी में प्रवेश के लिए 12वीं के अलावा किसी भी स्ट्रीम से ग्रेजुएशन पूरा होना चाहिए।
- बीटीसी में प्रवेश के लिए विभिन्न राज्यों में आयु सीमा भी निर्धारित है जैसे कि उत्तर प्रदेश में 18 से 35 वर्ष।
नोट : आप जिस भी राज्य से ताल्लुक रखते हैं वहां पर बीटीसी / डीएलएड के लिए जारी नोटिफिकेशन को जरूर पढ़ें। क्योंकि अलग अलग राज्य में एडमिशन की प्रक्रिया और योग्यता का परिमाप अलग अलग हो सकता है।
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बीटीसी करने के लिए कितना परसेंटेज चाहिए
बीटीसी करने के लिए ग्रेजुएशन में न्यूनतम 50% अंक होने चाहिए। हालांकि आरक्षित कैटेगरी के कंडीडेट के लिए 5% की छूट भी दी जाती है।
बीटीसी प्रवेश प्रक्रिया – बीटीसी कैसे करें
अलग अलग राज्यों में बीटीसी / डीएलएड में एडमिशन के लिए प्रवेश प्रक्रिया में भिन्नता हो सकती है। जैसे कि उत्तर प्रदेश में बीटीसी काउंसलिंग के जरिए एडमिशन होता है। जिसमे 10वीं, 12वीं और ग्रेजुएशन के अंको कोनमिलाकर मेरिट लिस्ट तैयार की जाती है। और इसी मेरिट लिस्ट के आधार पर एडमिशन होता है।
जबकि कुछ राज्यों में बीटीसी कोर्स में एडमिशन के लिए प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जाता है। जिसके बाद मेरिट लिस्ट के आधार पर एडमिशन मिलता है।
बीटीसी की फीस कितनी है 2023
बीटीसी की फीस ₹10,000 से ₹50,000 प्रति वर्ष हो सकती है। डीएलएड / बीटीसी की फीस सरकारी और प्राइवेट कॉलेज पर भी निर्भर करती है। सरकारी कॉलेज में प्राइवेट कॉलेज की अपेक्षा कम फीस होती है।
बीटीसी कोर्स की 2 साल की फीस ₹20,000 से 1 लाख रुपए तक हो सकती है। हालांकि बहुत से राज्यों में सरकारी कॉलेज के साथ साथ प्राइवेट कॉलेज में भी डीएलएड / बीटीसी की फीस निर्धारित कर दी गई है। जैसे कि उत्तर प्रदेश में प्राइवेट कॉलेज में डीएलएड की 1 वर्ष की फीस 40 हजार रुपए है।
बीटीसी कितने साल का कोर्स है
बीटीसी 2 वर्ष का कोर्स होता है। जिसमे मुख्य रूप से सिखाया जाता है कि प्राइमरी स्तर के बच्चों को कैसे पढ़ाया जाता है। इस कोर्स में बच्चों को पढ़ाने के विभिन्न तरीके बताए जाते हैं। साथ ही सामान्य विषय भी पढ़ाए जाते हैं।
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बीटीसी में कितने सब्जेक्ट होते हैं
बीटीसी कोर्स के पूरे अंतराल में अध्यापन के तरीकों के अलावा शैक्षिक योग्यता के लिए कुछ विषय भी पढ़ाए जाते हैं। जिसमे कुछ विषय ऑप्शनल भी होते हैं। आइए जानते हैं बीटीसी में कौन कौन से विषय पढ़ाए जाते हैं।
बीटीसी कोर्स सेमेस्टर आधारित होता है। हालांकि विभिन्न राज्यों में सेमेस्टर की संख्या 2 या 4 हो सकती है। लेकिन लगभग सभी राज्यों में बीटीसी का सिलेबस लगभग एक जैसा ही होता है।
बीटीसी में सेमेस्टर के आधार पर निर्धारित सब्जेक्ट पढ़ने पड़ते हैं। जिसमें से सामान्य विषय नीचे बताए गए हैं।
- सामाजिक अध्ययन
- गणित
- हिंदी
- अंग्रेजी
- विज्ञान
इनके अलावा भी विषय होते हैं जैसे शारीरिक शिक्षा और स्वास्थ्य, प्रारंभिक शिक्षा के नवीन प्रयास, बाल विकास एवं सीखने की प्रक्रिया आदि। बीटीसी कोर्स में थ्योरी विषयों के साथ साथ प्रैक्टिकल विषय भी शामिल होते हैं।
बीटीसी के बाद क्या करें
बीटीसी करने के बाद आप प्राइमरी और जूनियर स्कूल में शिक्षक बन सकते हैं। सरकारी स्कूल, प्राइवेट स्कूल, कोचिंग संस्थान में शिक्षक के तौर पर जॉब कर सकते हैं। हालांकि सरकारी स्कूल में शिक्षक बनने के लिए बीटीसी / डीएलएड के बाद TET या CTET क्वालीफाई करना पड़ता है।
बीटीसी और TET या CTET पास किए हुए कंडीडेट सरकार द्वारा प्राइमरी और जूनियर स्कूल में शिक्षक के लिए निकाली गई वेकेंसी में आवेदन कर सकते हैं।
आपको बता दें कि प्राइमरी स्तर पर ज्यादा संख्या में वेकेंसी निकलती हैं। जिस वजह से बीटीसी / डीएलएड किए हुए कंडीडेट के लिए जॉब के अधिक अवसर होते हैं। इसके अलावा अनुभवी शिक्षक स्टूडेंट काउंसलर की भी जॉब कर सकते हैं।
बीटीसी करने के फायदे
प्राइमरी टीचर बनने के लिए बीटीसी कोर्स अनिवार्य होता है। हालांकि इस समय कुछ राज्यों में बीएड किए हुए छात्र भी प्राइमरी शिक्षक के लिए आवेदन कर सकते हैं। प्राइमरी स्कूल की शिक्षा व्यवस्था के लिए ही डीएलएड कोर्स तैयार किया गया है। जिसका मुख्य उद्देश्य प्राइमरी शिक्षा को बेहतर बनाना है।
- बीटीसी करने के सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आप प्राइमरी, जूनियर स्कूल में सरकारी शिक्षक बन सकते हैं।
- बीटीसी के बाद शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी नौकरी की अधिक संभावना हो जाती है।
- सरकारी नौकरी के अलावा प्राइवेट शिक्षण संस्थानों में भी शिक्षक के तौर पर जॉब कर सकते हैं।
- कोचिंग संस्थान में शिक्षक या फिर स्टूडेंट्स काउंसलर भी बन सकते हैं।
बीटीसी की तैयारी कैसे करें
ऐसे छात्र जो शिक्षा (एजुकेशन) के क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं। उन्हे शुरुआत (10वी या 12वीं) से ही यह निर्धारित कर लेना है कि उन्हें भविष्य में बीटीसी करना है या नही। क्योंकि विभिन्न राज्यों में काउंसलिंग के जरिए एडमिशन मिलता है। जिसमे 10वीं, 12वीं और ग्रेजुएशन के मार्क्स के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार होती है।
यदि आप किसी खास कॉलेज से बीटीसी करना चाहते हैं। तो आप उस कॉलेज द्वारा डीएलएड / बीटीसी की प्रवेश प्रक्रिया के बारे में जानकारी एकत्रित करें। और यदि प्रवेश परीक्षा के जरिए एडमिशन मिलता है तो उस प्रवेश परीक्षा के सिलेबस के अनुसार तैयारी करें।